Saturday, June 20, 2020

अदौरी तिलौरी

ना जाने कितना नामों से  जानी जाती है ये छोटी छोटी बड़ीया बड़ी , अदौरी ,कुमरौरी,बीड़ियाँतिसीऔरीचावल की चरौरीतिलौरी , फूल ....

बिहारी  घरों की पहचान रही है अदौरी -बड़ी।दादी नानी के जमाने से सुनते आए है की इसका कितना अहम योगदान रहा है घर केअर्थव्यवस्था में जब बरसात के महीने में जब हरी सब्ज़िया मिलनी मुश्किल हो जाती है तब इनसब सुखी अदौरी से घर परिवार कोचलाया जाता रहा है।खास कर बिहारी घरों की पहचान रही है अदौरिया और हम जैसे बाहर रहने वाले लोग ज़्यादा समझते है अदौरी कीअहमियत को 😎हम अपना मुँह मियाँ मिट्टू नही बन रहे हैजो सच है वो लिख रहे है। हमारे जैसे बाहर  रहने वाले लोगों के लिए दुर्लभहोता है।मशहूर तो पंजाब भी है बड़ी के लिए मतलब और भी प्रांत है जैसे राजस्थान वैगरह भी पर अपने अपने गाँव देश की बड़ी अदौरीकी बात हीं निराली होती है।

विदेशों में रहने वाले बिहारी कभी नही निकल पाते अपने देशी भोजन और स्वाद से और मायके ससुराल पर आश्रित रहते है की माँबनाएगी तो हमारे हिस्से की अदौरी भी  पार ( बनाके रख देगी कोई आया या जब गए तो ले आए 😀

हर साल यही होता आया है की हम तेईस किलो के लिमिट के चक्कर में दो-तीन बैग सिर्फ़ अदौरी तिलौरी आचार और सतुआ बसमतीचूड़ागुड़ , घर का दाल से भरने की जुगाड़  में लगे रहते और प्राणनाथ अपनी नाखुशी ज़ाहिर करने में लगे रहते नियम क़ानून बताते रहतेऔर हम थेथर जैसा अनसुना करने का दिखावा करते की हम इसका कोई असर नही हो रहा पर डर तो लगते रहता है पर  का है की डरके आगे जीत है की भावना से ओतप्रोत रहते है।😝

मेरे धीया पुता इनकलुडिंग प्राणनाथ सभी को बहुत पसंद  है चावल के तिलौरी या चरौरी 

सब बड़े पसंद से खाते है और सबको हर किसी से ज़्यादा चाहिए होता हैऔर हम उसको लिमिट में फ़्राई करते थे कभी कभी हिस्सेदारीके हिसाब से गिन गिन कर क्यों की ज़्यादा दिन तक चलाने का भी प्रेशर रहता था और पिछले साल माँ को पूछ दिए पाँच छौ बार  माँभी घुड़क दी की इतना बना के दिए थे तुमको तुम सब भुझा जैसा खा गई क्या ?🤨

पर हर साल जैसे जैसे सतुआनि के आसपास के टाइम मौसम गरम होने लगता है तो लोग सब कोई आज कल वटसैपियाने लगता हैफ़ोटो-टोटों का ख़ूब अदान प्रदान होने लगता है और हम मने मने अपने दुमंज़िला घर के बालकोनी से बाहर स्नोफ़ॉल देख देख करखिसियानी बिल्ली खम्भा नोचने वाले टाइप का ग़ुस्सा आता 🤓

पर पिछले साल हम को मांट्रीऑल के धूप का गर्मी ख़याल आया की थोड़ा बना के ट्राई करने में क्या जाता है 🧐ठीक बना तो बना नहीतो बीग (फ़ेकनादेंगे अब कोनो नंनद  जेठनी तो है नही गार्डिंग करने वाला की सास का कान भरने वाला टाइप तो हम निश्चिंत थे 😜

तो हुआ क्या की पिछले साल के तिलौरी पारने का अनुभव  बहुत हीं अच्छा रहा मतलब स्वाद उवाद भी एक दम परफ़ेक्ट था गाँव घरजैसा 😎

इस साल मेरा कॉन्फ़िडेन्स का लेभल (लेवल)एकदम हाई था मतलब   का कहता है लोग आज कल हाउ इस दी जोश (how is the jose)😎😎😎😎टाइप

हम अपने तो पारे हीं पारे एगो भाभी है ईहा उनको भी परवा दिए की आप भी बनाइये। हम दोनो अपने अपने घर के चौहदी को ध्यान मेंरखते हुए अदौरी बड़ी पार के बहुत खुश हुए की अब क्या बताए कि कितना खुश .....अब ख़ुशी नापने का कोई पैमाना तो है नही की नापके बताए है की नही😌

कोई घोर रसोई प्रेमी घरेलू महिला हीं समझ सकती है हमारे ख़ुशी को 🥰

हम दोनो अपने अपने  हाता के लम्बाई चौड़ाई के हिसाब से बड़ी पारेअब हम बालकोनी वाले घर के सीमित हाता में बड़ी पारे  भाभी अपना बड़का हाता के हिसाब से 😃बस भाभी को दिन भर बड़का टेबल को धूप के मूव्मेंट के साथ पूरे टेबल घूमाना पड़ा 😀😀😀

बन जाने के बाद भाभी बोली थैंक यू यार बन गया पर माथा धर लिया है पूरा दिन इस चक्कर में सनबाथिंग हो गया 🥺 तो हम उनकोबोले की आप रेबैन वाला करियका चशमवा काहे नही पहिनी थी आपको करियका चशमवा पहिन के ना बैठना चाहिए था बड़ी पारने😎

अब भाभी बोल रही है आधा बताई आधा नही बताई 😮

गुरु जी का दोष है  सब 🤔

हम बोले कल जब दाल भात के साथ चावल का तिलौरी छान के खाइएगा तो सब माथा धरना भूल जाइएगा 😀

बड़ी का फ़ोटो चेप रहे है नज़र मत लगाइएगा हाँ नही तो 😎

इन्ही छोटी छोटी कोशिशों  से हीं शायद महिला गृह उधोग की स्थापना हुई होगी  हम तो नाम भी सोच लिए है अपने गृह उधोग का 🙂 का है ना की सोचने में कोनो पैसा कौड़ी तो लगता नही है।


  • यहाँ जो कोई खाने के लोभी  लोग हैंबड़का हाता को  पहचान कर अपने हिस्सा प्राप्त कर सकते है।
  • हम लोग मिल बात के खाने में भरोसा करते है।   😀 #शादीशुदा रसोई

#कनाडा बिहारी से बिहारी परिवार का अदौरी प्रेम 

Sunday, April 5, 2020

ना जाने तुम कौन सी दुनिया से आए हो और किस लिए आयें हो .....?????
अपनी छोटी से दूसरे मंज़िल के घर से सामने के रस्ते को देखती हूँ, इतना सूनापन इतना संनाटा......
लोग कहते है इतनी  शांति तो शमशान में भी नहीं होती
सड़के सुनी बाज़ार ख़ाली
लोग जैसे अदृश्य हो गए
ना जाने तुम कहाँ से आए हो .......... किस मंशा से आए
माँ कहती है ग़लत मंशा रखने पर ईश्वर दंडित करते है,पर मैं उतना हीं हुलस कर पूछती हूँ ,ईश्वर कुछ करते क्यों नहीं ??
मैं दो बच्चों की माँ अपनी छोटी सी दुनिया को बचा लेने की कोशिश में लग जाती हूँ ,हर चीज़ को पोंछ देने की कोशिश में लग जाती .......
थोड़ी गर्दन ऊँची करके खिड़की से देखने की कोशिश  में हूँ की कुछ लोग दिख जाए......मारचे पी.ऐ. के झोले लिए कोई दिख जाये, या फिर सामने की स्ट्रीट में पार्किंग खोजते कोई गाड़ी दिख जायें...
शाम का इंतज़ार करती हूँ की सामने वाली घर की बत्तियाँ जले और उस छोटे बच्चे की लाइट वाली परछाई देख सकूँ उसके छोटे छोटे कदमों से रसोई  से दूसरे कमरे को नापते देख सकूँ।
मेरी हीं तरह दूसरे बड़ी खिड़कि पर कुछ हलचल मालूम होती देखती हूँ तो दो  क़तार सी आँखे मुझ से पूछती तुम सब ठीक हो ?
मेरी भरी भरी से आँखे उनसे वही सवाल करती है जो उन्होंने मुझे पूछा
इशारों में उन्होंने बताया मेरा क्या है मैं तो इंतज़ार में हूँ ......……
मेरी बेचैनी को भाप कर वो हंस कर इशारा करती अरे मैं तो डिलिभरि बॉय के इंतज़ार में हूँ
अपनी काँपते हाँथो से वॉकिंग स्टिक से इशारा करती  है
ओ आ कर तो दिखाए मेरे दरवाज़े पर,
उनकी हिम्मत से मेरी हिम्मत भी बड़ जाती....
ऐ मेरे लाल ईंटों से बने शहर
दिखा दो अपनी शक्ति की वो छू ना सके हमारी दरे दिवारों को ........
लौट आए वो सारी मजलिसें, हँसी के गुलगुले लौट आए मेरे शहर के गिटार की धुने
लौट आए मेरे शहर में बस नम्बर 24 के फेरे .....  

#COVID-19

सुरंगमा

शादी

शादी चर्चा और झनटू भैया ....

आज माँ से बात कर रही थी तो उन्होंने ने बताया की इस बार कितने सारे परिचितों  के यहाँ से शादी का निमंत्रण है, सुन कर अच्छा लगा चलो अब अंकल आंटी की चिंता कम हुई होगी । माँ बाप बड़े शौख से  इस दिन का इंतज़ार करते है की कब उनके घर भी शहनाई बजे 😀उसी बातचीत के क्रम में मैंने किसी और जान-पहचान वाले लड़के के लिए पूछा की अरे उस लड़के की शादी का क्या हुआ? तब माँ ने बताया अरे उ झनटू भैया जो है कह रहे थे की अरे ऊ लड़का कोई ख़ास जॉब नहीं करता कोई ख़ास नौकरी नहीं है, सैलेरी भी कम यही सब बात ..........(वैसे वो लड़का MBA है )ऐसे में किसी को बताने से लोग कैसे रीऐक्ट करेंगे ,आप समझ सकते है।पर इसमें इफ़ बट लेकिन है की देर सबेर अच्छा कमाने लगेगा 🤔( मेरे पापा साल में पाँच गो शादी बीयाह अगर ना तय कराए तो उनको चैन नहीं पड़ता )
पर ई झनटू भैया जैसे लोग भी ना का कहे भगवान बचाए ऐसे लोगों से 🥺
झनटू भैया के पिताजी तो झनटू भैया से भी चार कदम आगे थे उनको तो हर लड़का लड़की के बारे में पता होता था एक दफ़ा की बात है ,आय डॉक्टर साहेब ऊ फ़लाना लड़िकवा  (लड़का) उसको मत जाइए देखने ऊ जो बैंक में काम करता है ना उसका मैनेजर बोल रहा था अरे उसके लिए तो रोज़े बैंक का दरवाज़ा चौड़ा करना पड़ता है गार्ड को तब जा के घुसता है ऊ 😟 ल शादी का कल्याण वही हो गया 🤓
लड़का तो लड़का एक बार ऊ ई कॉमेंट लड़की पर कर  दिए अरे ऊ लड़कियाँ के लिए तो रउआ ( आपको) घर के गेट चौरा करे के पड़ी (दुनिया में एक खोजिए चालीस लोग ऐस्से मिल जाएँगे 😏
एक बार ऐसे हीं बबली जीजी के जेठ ने एक लड़का बताया ,अब जिसको लड़की रहती है बिहाह (शादी)करने के लिए ऊ हीं उनकी दशा समझ सकता था ऊ बिचारी भी फ़ोन की पूछने के लिए त सुनिए जेठ जी क्या बोले .....हाँ ऊ लड़का के बारे में हमको कोई बस में बताया था हम बलिया से मऊ जा रहे थे तब 😳 दीदी ने कहा त ऊ सज्जन जो आपको मिले थे उनका पता दे जिए हम लोग उनको कांटैक्ट कर लेंगे तब सुनिए जेठ जी का जबाब का था ऊऽऽऽऽऽऽ उसको हम नहीं जानते है कौन है 🧐अब तो बबली जीजी की हालत आप समझ सकते है ....तब पहली बार जीजी ने जेठ जी को बोली ओ ऽऽऽऽऽतो आपको देखते हीं अनजान लोग भी जान  जाता है ,की आपकी भतीजी है जिसकी शादी करनी है और  अपने आपे लोग  आकर आपको लड़का के बारे में बता जाता है 😣
तब ज़माना लैंड लाइन फ़ोन का था ओर अगर फ़ोन जेठ जी का होता तो जीजी फ़ोन पर भी आवाज़ सुनकर जल्दी ही घूँघट डाल लेती थी 😅।जीजी के जेठ जी भी मेरे को दूसरे झनटू भैया लगते थे।पता नहीं कौन  सा सुख मिलता है इस तरीक़े से लोगों को तकलीफ़ देकर।
कुछ ऐसे भी लोगों को सुना जो अच्छी सुंदर पढ़ी लिखी लड़की के लिए pco चलाने वाला तो केमिस्ट शाप में दवा सजाने या हेल्पर का काम करने वाले लड़कों का रिश्ता अपने सगे संबंधियों को बताते नहीं थकते बुरा तब लगता है जब लड़की के पिता किसी ऊँचे पोस्ट पर काम करते थे ओर नीचा दिखाने का कोई मौक़ा नहीं मिला तो ये हीं सही 😇
समाज में सब तरह के लोग होते है, पर किसी के लड़की और लड़के के लिए गड्ढा मत खोदिए क्या पता ख़ुद हीं उस गड्ढे गिर जाए और ईश्वर आपको संभ्ल्ने का भी मौक़ा ना दे और हूक में प्राण निकल जाए ।
अच्छा सोचिए अपने लिए भी और दूसरे के लिए भी 🙏🏻
छोटी सी कोशिश है, कैसे सामाजिक प्रतिस्पर्धा में किसी के शादी ब्याह का हैपी एंडिंग गतलखाना में चल जाता है

सुरंगमा
#शादीशुदा रसोई